आगामी चुनाव को देख मतदाताओं में फुट डालने के लिए चल रहा है उल्हासनगर को सिंधूनगर बनाने का मुद्दा!
उल्हासनगर (महाराष्ट्र विकास मिडिया)- पिछले दो दिनों से उल्हासनगर शहर के नाम को बदलकर सिंधूनगर करने की जोरदार चर्चा सोशल मिडिया में चल रही है। देखा जाए तो इस नाम बदने के चर्चा और हो रहे प्रयत्न पुरी तरह फर्जी है। उल्हासनगर के मतदाताओं का ध्यान हररोज की शहर की समस्या से हटाने के लिए चालाक राजनैतिक दलों ने इस प्रकार उल्हासनगर का सिंधूनगर करने का मुद्दा मार्केट में लाया है ऐसा उल्हासनगर के वरिष्ठ नागरिकों का कहना है।
उल्हासनगर महापालिका में आजतक उल्हासनगरवासीयों को अच्छी सड़क, पीना का पानी, प्रशासन का पादर्शक कामकाज ऐसे कई मुद्दों को सफल बनाने में उमपा प्रशासन और सत्तापक्ष पुरी तरह विफल रहे है। ऐसे में आनेवाले विधानसभा चुनाव को मद्देनजर रखते हुए हर चुनाव की तरह इस चुनाव में भी सामान्य नागरिकों को वोट देनेवाले मतदाताओं को आपस में भिडाने का काम कुछ चालात राजनैतिक दलों के नेताओं द्वारा किया जा रहा है जिसके चलते उल्हासनगर शहर का नाम बदलकर सिंधू नगर बनाने का मुद्दा हालही में आया है।
गौरतलब हो कि इतने सालों में चुनाव के वक्त ही राजनैतिक दलों के नेताओं को उल्हासनगर शहर का नाम बदलकर सिंधूनगर रखने की याद कैसे आती है ? सिंधी सामुदाय के लोगों की चिंता स्थानिय नेताओं को चुनाव के वक्त ही क्यों होती है ? इन सभी मुद्दों पर उल्हासनगर की भोली भाली आम जनता ने एक बार विचार करना जरुरी है।
मराठी और नॉन मराठी (सिंधी) को चुनाव दरम्यान भिडाकर दोनों में फुट पैदा कर राजनैतिक दलों के भ्रष्ट नेता फीर एक बार मतदाताओं का ध्यान भाषा और शहर के नाम की ओर आकर्षित कर चुनाव जीतेंगे और उसके बाद फिर पाच साल उल्हासनगर शहर के रहिवासी शहर की समस्याओं को देख सिर्फ सोशल मिडिया और आपस में चर्चा करेगी।
इसी तरह आज तक उल्हासनगर शहर की राजनिती चलती आ रही है लेकिन इस बार उल्हासनगर शहर में युवा नेतृत्व की और जल्दबाजी करने के बजाय दिमाग से सोचनेवाले मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। ऐसे में उन मतदाताओं और नागरिकों ने राजनैतिक दलों के इस करतूत को जानकर उल्हासनगर के नाम को सिंधू नगर बनाने का मुद्दा छोडो पहले शहर में ठप्प योजनाएं कब पुरी होंगी, सड़कों की मरम्मत कब होगी, शहरवासीयों को पीने का स्वच्छ और निरोगी पानी कब मिलेगा, अवैध निर्माणों को सुरक्षित करने का मुद्दा कब हल होगा इन विषयों पर नागरिकों ने नेताओं से कडा सवाल करना चाहिए।
उल्हासनगर शहर में सिंधी भाषीय रहिवासीयों के साथ साथ पंजाबी, मराठी, हिंदी, तमिल एवं गुजराती भाषा प्रांत के लोग भी उल्हासनगर में रहते है और वे सब मिल जुलकर रहते है। लेकिन हर बार की तरह इस बार भी कुछ समाजकंटक राजनेताओं द्वारा उल्हासनगर को सिंधूनगर बनाने के मुद्दे को गरम कर उसपर अपने आनेवाले चुनाव की रोटी सेकने का काम नेताओं द्वारा होनी की कडी संभावना है।
उल्हासनगर शहर का नाम सिंधूनगर करने से आज जिसप्रकार की शहर की हालत है उसमें कोई सुधार नहीं आने वाला है, लेकिन यह बात शहर के मतदाताओं को समझना होगा और नाम के बदलने की मांग के बजाय काम के बारें में नेताओं से सवाल करना जरुरी है।
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