मार खाकर भी पुलिस में शिकायत नहीं कराने गया पत्रकार तो भडक गये पत्रकार संघटना के पदाधिकारी
बदलापूर (बदलापूर विकास मिडिया)- कुळगांव बदलापूर शहर के एक स्थानिय अखबार के पत्रकार को 16 अगस्त के दिन बदलापूर अंबरनाथ रोड जांबुल फाटा परिसर में बेरहमी से पिटा गया। मार खानेवाले उस पत्रकार का नाम आईविट रोनी लोबो बताया जाता है। पत्रकार ने मार खाने के बाद भी पुलिस में इस घटना की शिकायत नहीं की जबाय उसके अखबारों में पिटाई की खबर छपनेवालों पर पुलिस ने कार्यवाही करने की मांग इस पत्रकार ने की है। जिसके बाद पत्रकार संघटना के ठाणे जिला अध्यक्ष एवं वरिष्ठ पत्रकार किरण पडवळ भडक गये है।
पत्रकारों के हिम में काम करनेवाली संघटना असोसिएशन ऑफ स्मॉल एण्ड मिडियम न्युजपेपर संघटना के ठाणे जिला अध्यक्ष किरण पडवळ ने पत्रकार आईविट लोबो ठुकाई मामले में पत्रकार परिषद में कहा कि, समाज हित में भ्रष्टाचारीयों को एक्सपोस करनेवाले पत्रकारों पर जब कभी हमला होता है तो पत्रकार संघटना पि़डीत पत्रकार को पुरा सपोर्ट करते हुए अपराधियों पर कडी से कडी कारवाई की मांग करती है लेकिन आईविट लोबो के मामले को देख वह सच में एक पत्रकार है इस बात पर शंका हो रही है। आईविट लोबो को 16 अगस्त के दिन कुछ गुंडों ने पीटा था जिसके बाद इस घटना की खबर आग की तरह पुरे थाने जिला में फैल गई। हमने इस बारें में जानने के लिए और पत्रकार पर हमला होने से उपको मदद करने के लिए जब आईविट लोबो को संपर्क किया तो उसने पिटाई के बारें में कुछ कहने ही तैय्यार नहीं था। बल्कि इस घटना को दबाने में उसकी रुची साफ नजर आ रही है। उसके कुछ समर्थकों द्वारा पिटाई होने की खबर दबाने की पुरी कोशिश की जा रही थी। पिटाई की घटना के 48 घंटों बाद भी धुलाई से सुजे हुए आईविट लोबो ने किसी भी प्रकार का खुलासा नहीं किया। आखिरकार जब सोशल मिडिया, शहर के नागरिकों और निडर पत्रकारों द्वारा आईविट लोबो की पिटाई की चर्चा शुरु की तब जाकर आईविट लोबो ने पुलिस थानें में उसपर किसी भी प्रकार का हमला ना होने की बात कह डाली। विशेष बात तो यह है कि, पुलिस को दिये उस लिखित शिकायत में आईविट लोबो मार न खाने की बात भी करता है और साथ ही उसके जान को खबर की वजह से धोका होने की बात भी कहता है। इससे साफ जाहिर होता है कि, उस शाम उस की ठुकाई हुई थी लेकिन ठुकाई का कारण और किसने पीटाई की इस बारें में वह बताना नहीं चाहता यह साफ दिख रहा है। ऐसे पत्रकारों की वजह से आगे जलकर निडर और रोकठोक खबरें छापने वालों पर भी हमला होने की पुरी संभावनाएं है। आईविट लोबो जैसे पत्रकार जो मार खाने के बाद भी पुलिस में शिकायत करने से इतना कतरा रहा है ऐसें लोग क्या सच में पत्रकार है ऐसी भी अब पत्रकार संघटनाओं और शहर के नागरिकों को शंका आती है। हमें इस घटना में आईविट लोबो में कोई रुची नहीं है वह एक पत्रकार के रुप में समाज में घुमता है और ऐसे में उसकी पिटाई याने एक पत्रकार पर हमला होने से पत्रकार संघटनाओं को इस विषय में हमें बोलला पड रहा है। आईविट लोबो जैसे पत्रकार जो मार खाकर भी चुप रहते है और ऐसे अपराधों को बढावा देते हैं ऐसों की वजह से निडर पत्रकारों का नाम भी खराब होता है।
किरण पडवल आगे कहते है कि, डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर ने कहा था कि अन्याय करने वालों से सहन करनेवाला घोर अपराधी होता है इसलिए हम ऐसे हमलों पर शांत नहीं बैठेंगे। आइविट लोबो भले ही मार खाने के बावजुद 48 घंटों तक पुलिस नहीं जाता हो या आखिर में लोगों को उसपर हसता देख पुलिस में जाकर पीटाई की घटना को झुठा साबित करता हो लेकिन यह बात पत्रकारों के स्वाभिमान की है। आईविट लोबो शायद भुल रहा है कि हम पत्रकार भारत का चौथा स्तंभ है जो निडरता से पत्रकारिता का पवित्र धर्म निभाते हुए समाज हित का काम और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाते है। लोबो की करकुत तो मानो लाचार पत्रकारों की तरह हुई जो मार खाने के बावजुद दो दिनों तक थाने रिपट लिखाने नहीं जाता और आखिर में घटना को ही झुठा साबित कर पुलिस और पत्रकारों को गुवराह करने की प्रयास करता है। महाराष्ट्र सरकार पत्रकारों के रक्षण हेतु पत्रकार सुरक्षा कानून अमल में लाई है लेकिन ऐसे मार खाकर चुप बैठनेवाले पत्रकार को देख ने के बाद पत्रकार सुरक्षा कानून भी परेशान होता होगा ।
गौरतलब हो कि, आईविट लोबो एक स्वयंघोषीत पत्रकार होने के साथ साथ शिवसेना बदलापूर शहर का पदाधिकारी भी है। कुलगांव बदलापूर नगरपालिका में पर्सेंटेज के दौर पर ठेकेदारी करते हुए लोबो पत्रकार और बादमें एक पार्टी के पदाधिकारी बना। आईविट लोबो अपने राजनैतिक इमेज को ठेस ना पहुंचे इसलिए हमले की वारदात छुपाने की कोशिश कर रहा है ऐसी आशंका जताई जा रही है। साथ ही आईविट लोबो को इसके पहले भी कई बार कुछ राजनैतिक दलों के नेताओं ने बुरी तरह पीटा था। एक बार तो एक बडे राजनैतिक दल के नेता के दफ्तर में ही लोबो की पीटाई हुई थी लेकिन किसी भी वारदात के बाद आईविट लोबो ने थाने में रपट नहीं लिखाई यह आश्चर्य चकित करनेवाली बात है।
इस घटना को देख बदलापूर के डैशिंग पत्रकार महेश कामत ने कहा कि, पत्रकारों को निडर रहना चाहिए। अगर पत्रकार ही खुद डरेगा तो समाज की क्या खास रक्षा करेगा। लेकिन निडर पत्रकार के रुप में सिर्फ वहीं काम कर सकता है जिनके हाथ भ्रष्ट नेताओं और उनके चमचों से नहीं मिले होते। लाचारी की जिसे आदत लगती है वह अपने स्वाभिमान को खो देता है और इस प्रकार के हमलों के बाद भी चुप-चाप मुह पोंचकर घर जाता है जैसे की कुछ हुआ ही नहीं। ऐसे लाचारों की वजह से आज पत्रकार क्षेत्र बदनाम है और निडर पत्रकारों पर जो आज धडल्ले से हमले होते है वह सिर्फ और सिर्फ आईविट लोबो जैसे बुस्दिल लाचार पत्रकारों के हरकतों के कारण ऐसा भी आखिर में पत्रकार महेश कामत ने महाराष्ट्र विकास प्रतिनिधी को बताया।
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