बदलापूर का औरंगजेब : दुर्ग मल्हार ट्रेकर विवेक पाटील जब गडकिलो के किराये पर देने वाली खबर पर सरकार को नही मिडिया को कोसता है तब...
बदलापूर (महाराष्ट्र विकास मिडिया)- आज संपुर्ण महाराज्य राज्य के नागरिकों ने और विपक्ष ने महाराष्ट्र सरकार और सत्तापक्ष पर जमकर निशाना साधा है। बात गडकिलो को किराये पर देने की है। अखबारों और न्युज चैनल ने जब गडकिलों को किराये पर देने की जानकारी लोगों तक दी उसके बाद लोगों को पता चला कि किस प्रकार सत्तापक्ष और महाराष्ट्र सरकार ऐतिहासिक किलों तक को नहीं छोड रहे है। एम.टी.डी.सी. के माध्यम से निजी ठेकेदारों को किराये पर देने का निर्णय हालही में सरकार ने लिया है। अखबार में खबर छपने के बाद पुरे राज्य में सत्तापक्ष पर लोगों में नाराजी का सुर बना है।
गौरतलब हो कि, 2014 के लोकसभा और विधानसभा चुनाव में 'छत्रपती का लेकर आशिर्वाद चलो दे मोदी को साथ' इस टैगलाईन में भाजपा-शिवसेना ने अपना चुनाव प्रचार किया था। आज वही भाजपा शिवसेना सत्तापक्ष महाराष्ट्र सरकार में बैठकर ऐतिसाहिक गडकिलों को निजी ठेकेदारों को किराये पर देने का निर्णय ले रही है।
बता दें कि, पुरे महाराष्ट्र राज्य में जहां इस विषय पर सरकार की घोर निंदा हो रही है वहीं बदलापूर शहर के एक मोदी भक्त ने इस विषय पर मिडिया पर निशाना साधने की असफल कोशिश की। विवेक पाटील बदलापूर का रहनेवाला है और दुर्ग मल्हार ट्रेकिंग एण्ड टुर्स का धंदा करता है। गडकिलों के नाम पर लोगों को किलों का दर्शन कराकर ट्रेकिंग ले जाकर पैसे किलों के नाम पैसे बटोरने के विवेक पाटील का काम है। उन्हे इस मिडिया ने गडकिलों को किराये पर देने की खबर छापने पर विवेक पाटील को इतना दुख हुआ है कि एम.टी.डी.सी. से पक्ष में बोलकर और मिडिया को कोसकर विवेक पाटील ही बेगानी शादी में अब्दुल्ला दिवाना बने घुम रहे है। इतना दुख हुआ मानो वह चाहते थे कि किलों को किराये पर दिया जाए लेकिन सरकार के इस निर्णय की पोल खोर मिडिया ने की तब भांडा फुटने से मानो उनका भविष्य का कोई फायदेमंद प्रोजेक्ट ही खराब हो गया हो।
पुरा महाराष्ट्र इस विषय पर सत्तापक्ष और महाराष्ट्र सरकार की निंदा इसलिए कर रहा है क्योंकि जिन गडकिलों की रक्षा के लिए शिवाजी महाराज के सैनिकों ने खुद का बनिदान दिया उन गडकिलों पर अब शराद शबाब और कबाब का आनंद लेते भी देखने को मिलने की शंका है। वर्ग 1 या वर्ग 2 किलों का जतन करने के बजाय उन्ही गडकिलों का निजी ठेकेदारों को लिज पर देकर वहां पर जन्मदिन, शादी ब्याह वेडिंग डेस्टिनेशन के तौर पर गडकिलों का इस्तेमाल किया जाएगा। यह बात पता चलने के बाद महाराष्ट्र के हर एक नागरिक को सरकार के इस निर्णय पर गुस्सा आ रहा है लेकिन किलों के नाम पर पैसे बटोरनेवाले बदलापूर के विवेक पाटील थोडे अलग है। वे इस विषय पर विरोध करना तो छोडिये उलटा मिडिया पर ही भौंक रहे है।
सुत्रों के अनुसार विवेक पाटील भी एक मराठा है और मराठा होने के बावजुद महाराष्ट्र राज्य के किलों को किराये पर देने की बात पर उन्हे दुख नही होता यह नोट करनेवाली बात है। यह भारत देश है और इस देश के हर नागरिक को स्वतंत्रता है वह चाहे जो करें उनका निजी मामला है लेकिन जब वे दुसरों के खिलाफ बेबुनियाद भौंकते है तब उनकी असलियत जनता के सामने मजबुरन लाना पडता है।
सरकार के इस निर्णय का मिडिया ने भांडाफोड करने के बाद एम.टी.डी.सी. और सरकार को भी अपनी गलती समझ में आ रही है और आखिरकार अपनी नेगेटिव्ह इमेज को अच्छा करने के लिए पर्यटन विभाग के सचिव द्वारा एक खुलासा किया गया। खुलासा को देखने पर भी लोग यही कहेंगे कि किस प्रकार सरकार तुघलक फर्मान लाते हुए लोगों को गुमराह कर वर्ग 1 और वर्ग 2 की बातें कर गडकिलों का लिज पर देने का काम कर रही है।
गडकिलों की पुजा करनेवाले गडकिलों को पवित्र माननेवाले आज सरकार के धोरण के खिलाफ है ऐसे में सरकार की गलती पर पर्दा डालने का काम कुछ भक्त लोग अपने अपने हिसाब से प्रयत्न कर रही है लेकिन मराठा समाज, आम जनता, विपक्ष, मिडिया सभी का जोरदार विरोध देख भक्तों ने भी इस विषय में कुछ ना बोलने में ही भलाई मानी है, ऐसे में बदलापूर का मोदी भक्त विवेक पाटील जिसप्रकार मिडिया पर सवाल उठा रहा है और मिडिया को इस खबर के छापने पर कोस रहा है उससे मानो इस शक्स का काफी नुकसान हुआ है। सुत्रों के अनुसार विवेक पाटील जो कि गडकिलों के टुर्स का आयोजन दुर्ग मल्हार टुर्स के नाम से करते है गडकिलों को किराये पर देने से वहां पर पर्यटक बढने से उसके धंदे में काफी तेजी आती थी लेकिन मिडिया ने इस तरह सरकार के निर्णय को जगजाहिर करने से और नागरिकों का विरोध देख अब शायद किराये पर देने का निर्णय भी सरकार वापस ले ऐसी आशंका जताई जा रही है। क्या इस विषय से विवेक पाटील बडे ही चिंतित है? गडकिलों के नाम पर पैसा बटोरनेवाले विवेक पाटील को देख सिर्फ एक ही बात कहेंगे, "जैसा राजा वैसी प्रजा।" जहां सरकार अपना फायदा देखते हुए आमदनी को ध्यान में रखते हुए गडकिलों का इस्तेमाल हॉटेल और रेसॉर्ट बनाने तक सोच रही है निर्णय ले रही है उसी गडकिलों के निजीकरण के बाद वहां पर अपना टुर्स का धंदा जोरशोर से चलाकर गडकिलों के नाम पर पैसे बटोरने की छोटी सोच विवेक पाटील जैसे लोग रखते है। व्यापार हर किसी ने करना चाहिए लेकिन जब बात आती है ऐतिहासिक और पारंपारिक सांस्कृतिक चिजों का तब वहां पर धंदे के हिसाब से नहीं सोचना चाहिए लेकिन यह गडकिलों के नाम पर पैसे बटोरनेवाले विवेक पाटील जैसे लोगों को कौन समझाएगा।
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