गडकिले किसी के बाप की जागीर नहीं : महाराष्ट्र सरकार के निर्णय पर भडके विधायक जितेंद्र आव्हाड
ठाणे (महाराष्ट्र विकास मिडिया)- हालही में महाराष्ट्र राज्य सरकार ने गढकिले प्रायवेट कंपनी को लिज पर देने का निर्णय लिया है। इसमें महाराष्ट्र के कुल 25 किलों के नाम का समावेश है। इन किलों का रुपांतर हॉटेल और रेसॉर्ट में होने को महाराष्ट्र सरकार ने मंजुरी दे दी है। इस निर्णय के बाद महाराष्ट्र में सभी स्तर से सरकार और सत्तापक्ष पर जोरदार टिका हो रही है।
राष्ट्रवादी पार्टी के विधायक जितेंद्र आव्हाड ने सोशल मिडिया पर अपना व्हिडीओ शेअर करते हुए सरकारी की जमकर खबर ली है। उन्होंने अपने व्हिडीओ में कहा कि, गडकिलो किसी के बाप की जागिर नहीं है जो महाराष्ट्र सरकार इस प्रकार से महाराज के किलों को लिज पर देकर प्रायव्हेट कंपनी वहां पर हॉटेल और रेसॉर्ट बनाए। एम.टी.डी.सी. का कहना है कि, जिस प्रकार गोवा और राजस्थान के किलों का रुपांतर रेसॉर्ट और हॉटेल में तबदिल हुआ है उसके बाद पर्यटकों की संख्या में वृद्धी हुई है। इससे सरकार का रेव्हेन्यु बढा है। इसी प्रकार महाराष्ट्र के इन 25 किलों का भी अगर रुपांतर हॉटेल और रेसॉर्ट में किया जाए तो पर्यटन इन जगहों पर भी भीड करेंगे।
सांसद अमोल कोल्हे ने भी सरकार के इस निर्णय के खिलाफ आवाज उठाया है। सांसद सुप्रिया सुले ने भी अपने ट्विटर हैंडल से सरकार के इस निर्णय की निंदा की है।
जिन गडकिलों को महाराष्ट्र राज्य के नागरिक पवित्र मानते है और उसकी पुजा करते है इतना सम्मान देते है आज भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना पार्टी की मिलीजुली सरकार 25 किलों को लिजपर देने को मंजुरी जता रही है इससे सरकार की महाराष्ट्र के प्रति और महाराष्ट्र के संस्कृती के प्रति शुन्य प्रतिशत सम्मान नहीं यह साफ तौर पर देखने को मिल रहा है। 2014 के चुनाव में जिन छत्रपती शिवाजी महाराज के नाम पर भाजपा शिवसेना ने केंद्र और राज्य में सरकार बनाने के लिए मतदाताओं से वोट लिए आज वहीं महाराज के किले को लिज पर देने को राजी है इससे दुर्भाग्य की बात और क्या हो सकती है।
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