बदलापूर- अंबरनाथ- उल्हासनगर के झोलर ट्रकों पर ट्रॉफिक पुलिस क्यों नही करती है ठोस कार्यवाही ?
अंबरनाथ (महाराष्ट्र विकास मिडिया)- भारत देश में हालही में केंद्र सरकार ने जिसप्रकार टू व्हीलर और फोर व्हिलर वाहन चालकों के सक्त नियम किये है जिसके कारण आम आदमी को अब हेल्मेट ना पहनने जैसे पर 5000 से 20 हजार तक का जुर्माना लग रहा है इसी प्रकार रेती ट्रक माफिया और अवैध रुप से ट्रकों के सक्त कानून भी बने है लेकिन कई शहरों में ट्रॉफिक पुलिस द्वारा इन ट्रकों पर क्यों कारवाई नहीं की जाती है ऐसा सवाल अब जनता पुछ रही है।
ठाणे जिला के बदलापूर, अंबरनाथ, उल्हासनगर में एम.आय.डी.सी. के इलाके में साथ ही रेती का धंदा करनेवाले साईटों पर, बिल्डर के नये नये साईट पर कई सारे ट्रक है जिसके कागजात ठिक नहीं है। किसी का इंश्योरंस नहीं है तो किसी ट्रक का आर.सी. ही नहीं है। ऐसे ट्रकों के खिलाफ अंबरनाथ और उल्हासनगर वाहतुक पुलिस सक्त नियमों के अधिन रहकर कार्यवाही करते नजर नहीं आती है। अंबरनाथ और उल्हासनगर वाहतुक पुलिस सिर्फ और सिर्फ आम जनता को टार्गेट कर उन्हे नियम और कानून का डर दिखाकर उनसे हजारो रुपयों का दंड वसुलती है।
जिस प्रकार आम जनता और मध्यमवर्गीय टू व्हीलर फोर व्हिलर बाईक चार चलाने वालों के बिज चौराहे में रुकाकर नियमों का पाढा बढाते हुए अंबरनाथ - उल्हासनगर वाहतुक शाखा के ट्रॉफिक पुलिसकर्मी दंड वसुलते है ठिक उसी तरह रेती ओव्हरलोड करनेवाले ट्रकों पर, इंश्योरंस-परमिट रिन्यु नहीं करनेवाले ट्रकों के मालिक और ड्रायव्हर पर कार्यवाही नहीं करती ऐसा आरोप अब आम जनता लगा रही है।
सुत्रों के अनुसार बदलापूर - अंबरनाथ - उल्हासनगर में 500 से ज्यादा हाईवा, ट्रक है जिनमें से 30 प्रतिशत झोलर ट्रक है जिनके कागजात सही नहीं है। किसी का इंश्योरंस नहीं है तो किसी का परमिट नहीं है, किसी ट्रक का तो पुरा का पुरा आर.सी. बुक गायब है लेकिन ऐसे ट्रकों के मालिकों पर अंबरनाथ वाहतुक शाखा और उल्हासनगर वाहतुक शाखा इतनी मेहरबान क्यों है जिस वजह से उनपर कार्यवाही नहीं होती ?
गौरतलब हो कि इन झोलर ट्रकों के ड्रायव्हर भी प्रोफेशनल ड्रायव्हर नहीं होता है जिसके चलते आये दिन ऐसे ड्रायव्हर ट्रक को लापरवाही से चलाते है और दुर्घटना होती है। ट्रक के निचे कभी बाईक सवार आता है तो कभी राह पर चलता मुसाफिर। ऐसी दुर्घटना के बाद ट्रक चलानेवाले ड्रायव्हर पर तो सिर्फ प्रोसिजर के रुप में मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 134 (ए) 134 (बी) 184 और भादवि धारा 304-ए के तहत मुकदमा दाखिल किया जाता है। अपराधी तो दुसरे दिन कोर्ट से छुट जाता है लेकिन उस ट्रक हादसे में बाईक स्वार या राहगिर तो कुचलकर बेदर्दी से मर जाता है।
हालहि में अंबरनाथ में ऐसी ही घटना घटी है जिसमें एक 55-60 साल के बुजुर्ग मुर्ती मुदलीयार को एक ट्रक ने ठोकर मारी थी जिसमें उक्त एक्टीवा सवार की मौत हुई। इसके पहले भी उल्हासनगर में एक ट्रक के पहिये का कव्हर उडकल एक बाईक में स्वार छोटे बच्चे को लगकर उसकी घटना स्थल पर मौत हुई थी। इस तरह की कई वारदातें दिन प्रति दिन अंबरनाथ, उल्हासनगर, बदलापूर में देखने को मिलता है। ऐसे ट्रकों के मालिकों और ड्रायव्हरों का आगे क्या होता है।
अंबरनाथ वाहतुक शाखा और उल्हासनगर वाहतुक शाखा इमानदारी से अपना काम करती तो आज बदलापूर - अंबरनाथ और उल्हासनगर में सैकडों झोलर ट्रक बिंधास्त धुमते नहीं थे। क्या इन ट्रकों को बदलापूर, अंबरनाथ और उल्हासनगर की सढकों पर बेझीझक चलाने के लिए साथ ही कानूनी कार्यवाही से बचने के लिए वाहतुक पुलिस को मासिक हफ्ता वगैरे घूस की तौर पर दिया जाता है क्या ऐसे भी सवाल अब लोग पुछ रहे है।
अंबरनाथ वाहतुक शाखा और उल्हासनगर वाहतुक शाखा ने बदलापूर, अंबरनाथ और उल्हासनगर के सढकों से जानेवाली सभी ट्रकों की अच्छी तरह से जांच करनी चाहिए और झोलर ट्रकों को तुरंत सिझ कर ड्रायव्हर और मालिक पर कार्यवाही करनी चाहिए ऐसी बदलापूर विकास मिडिया की मांग है।
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